इस्कॉन के चार नियम 3
जुआ नहीं खेलना

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      प्रभुपाद ने सारे इस्कॉन केंद्रों में चार नियम लागु किया था कि 1-माँस नहीं खाना,2-शराब नहीं पीना ,3- परस्त्री गमन नहीं करना और 4- जुआ नही खेलना | तो यहाँ पर हम " जुआ नहीं खेलना " पर चर्चा करेंगे | जुआ एक ऐसा व्यसन को जन्म देता है | जिस पर चलकर मनुष्य बड़ा से भी बड़ा भी पाप कर बैठता है | जुआ ऐसा वस्तु है जिसका कोई अंत नहीं करना चहता | सब ओर से यही आशा होती है कि अब की बार मैं जितुंगा और सारा धन मैं पा लूँगा | दाँव में धन तो लगा देते हैं लेकिन ये नहीं सोचते कि मैं यह धन कितना मेहनत करके कमाई की है | और छोटे से बाजी में हार जाऊँगा | जो कोई जीत भी ले तो सोचता है मैं इसका दुगुना धन अब की बार अर्जित कर लूँगा लेकिन पासा उसका नहीं मानता पासा पलट कर दूसरे का हो जाता है | इस तरह से सारा खो कर घर जाता है | जुआ का अर्थ ही झुठ का सहारा लेकर दूसरे का जितना भी धन है | सारा हड़प लेंगे | इसमें इमानदारी नहीं है कपट से थोड़ा धन लगाकर बहुत भारी रासी अर्जन करके उस धन से पाप करना चाहता है | अधिक धन ज्यादातर पाप कराता है | इसलिए ऐसे पाप से बचना चाहिए हमें छल-बल करके धन दूसरे का हड़प कर नही जीना चाहिए | कलियुग का बड़ा भारी दोष इस जुआ के अंतर्गत आता है | हम यदि कलियुग के दोषों से बचना चाहते हैं तो हमें जुआ,लाटरी ,सटटा,केशिनो आदि से बचना चाहिए | हम मेहनत करके धन अर्जन करें और रोटी - कपड़ा और मकान का निर्वाह करें | इतिहास हमारे सामने है कि महाभारत में युधिष्ठिर महाराज जुआ के कारण सब हारे गये थे | और वनवास का दुःख भोगना पड़ा | महाराज युधिष्ठिर के पौत्र महाराज परिक्षित ने कलियुग को पाँच स्थान रहने के लिये कहा है | वे हैं द्युतक्रीड़ा स्थान ,जहाँ माँसाहार अर्थात पशुवध शालायें दूसरे शब्दों में जहाँ पर हिंसा हो , जहाँ वैश्यावृत्ति हो वहाँ पर ,और चौथा शराबखाना हो या जो लोग इसका सेवन करें वहाँ पर ,और पाँचवा स्थान महाराज ने दिया सोना पर रहने के लिये | तो हमें इन पाँच स्थानों को प्रयत्नपूर्वक त्याग देने चाहिये | और भगवान् का नित्य -नियम से हरे कृष्ण हरे कृष्ण कृष्ण कृष्ण हरे हरे | हरे राम हरे राम राम राम हरे हरे || का जाप करना चाहिए | क्योंकि यही एक मात्र उपाय है कलियुग में भगवान् कृष्ण को प्राप्त करने का | सारे शास्त्र सारे सज्जन लोग सारे साधुओं का यही एकमत है | हरे कृष्ण !


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 जाल शिक्षकः brajgovinddas@yahoo.com

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